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झाबुआ

झाबुआ के प्रभारी मंत्री बघेल ने अधिकारीयो के अलोकतांत्रिक तरीके से धोस धपट देकर उनका मनोवल गिराने का प्रयास किया।

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झाबुआ जिले की प्रशासनिक हलचल

झाबुआ से दोलत भाबसार द्वारा

कहने बाले कहते हे कि जल बिन मछली की जो स्थिती होती हे वही स्थिती 15 साल तक सत्ता बिन कांग्रेस की स्थिती बनी हुई थी प्रदेश के अल्पमत सरकार के काबिना मंत्री हनी बघेल जो झाबुआ के प्रभारी मंत्री भी हे अपने एक दिवसीय प्रशासनिक भृमण के माध्यम से झाबुआ आये थे कहने को तो बघेल का वह प्रशासनिक भ्रमण था परन्तु प्रशासनिक भ्रमण की बजाय वह राजनेतिक भ्रमण ज्यादा रहा पहली बार मंत्री बने हनी बघेल सत्ता के मद मे इतने मदांत थे कि वे अपने पद की गरिमा को भी भ्ूल कर अलोकतांत्रिक संबादो ओर बयानो से जिले के प्रशासनिक अधिकारीयो को हडकाते हुए नजर आये । काग्रेस सरकार के मत्री का रवैया देखकर प्रशासनिक अधिकारी को जेसे सॉप सूघ गया हो ऐसी स्थिती मे चुप्पी साधे उनकी गीदड धमकीयो को सुनते रहे । हद तो जब हो गई जब प्रभारी मंत्री ने आब देखा न ताव ओर कह दिया कि झाबुआ का विधायक विक्रात भूरिया हे अब बघेल साहब को यह बात कोन समझायें कि सांसद पुत्र विक्रात भूरिया को यहॅा की आदिवासी जनता ने नकार दिया है ।ओर यहॉ पर जनमत के आर्शिवाद से भाजपा के विधायक गुमान सिह डामोर नेतृत्व कर रहे हे।

टी.एल.बैठक बनाम अधिकारीयो की बैठक मे कांग्रेसी नेताओ का क्या काम

गुलाबी बिल्डिग के गलियारो मे अर्थात जिला कलेक्ट्रेड कार्यालय मे कल यह चर्चा का विषय रहा कि कलेक्ट्रेड के सभा ग्रह मे प्रभारी मंत्री ने अधिकारीयो की बैठक ली या कांग्रेस नेताओ की वैठक थी जिला वैठक का नजारा कुछ अलग ही अंदाज मे देखा गया जिला अधिकारीयो की समीक्षा वैठक मे अधिकारी कम व कांग्रेस नेता इतनी अधिक संख्या मे उपस्थित थे कि मानो ऐसा लग रहा था कि जिला कांग्रेस कमेटी की वैठक आयोजित हो रही हो।
जिला अधिकारीयो की समीक्षा वैठक मे प्रभारी मंत्री ने जिस तेवर व अंदाज मे अधिकारीयो को समबोधित किया हे वह झाबुआ के प्रशासनिक इतिहास मे पहला था ठीक प्रभारी मंत्री की तर्ज पर सांसद ने अपना बयान दिया । ओर वह भी अधिकारीयो पर खुन्नस निकालते नजर आये। प्रभारी मंत्री बघेल की उपस्थिती मे अधिकारीयो की संमीक्षा बैठक मे जो उस वैठक के लिए अधिकृत नही थे वे भी बयान बाजी व संबोधन करते नजर आये जो गुलाबी बिल्डिग में चर्चा का विषय बना रहा ।

भारत निर्वाचन आयोग एवं मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग के निर्देशो की धज्जीयो उडाई जिला प्रशासन ने

भारत निर्वाचन आयोग एवं मध्य प्रदेश निर्वाचन आयेग न म.प्र की कमलनाथ सरकार को स्पष्ट निर्देश दिये थे कि प्रदेश के जिलो मे एवं झाबुआ जिले मे जो अधिकारी व कर्मचारी निर्वाचन प्रक्रिया के दायित्वो का निर्वहन कर रहे हे उन्हे निर्वाचन आयोग की सहमति बिना म.प्र की सरकार व जिला प्रशासन के मुखिया हटा नही सकेगे परन्तु चुनाव आये ग के उक्त निर्देशो की हवा हवाई झाबुआ जिला प्रशासन के मुखिया ने प्रभारी मंत्री के निर्देश पर झाबुआ एस.डी.एम. जायसबाल को उक्त पद से हटाकर एस.डी.एम के रूप मे परते को नियुक्त करने की चर्चा गुलाबी बिल्डिग मे चल रही है।

बताया जाता हे मालविय एस डी एम के स्थान पर श्री परते को एस डी एम बनाया जा रहा हे वे पूर्व कलेक्टर के समक्ष अपनी इच्छा जाहिर कर इस पद पर नही बने रहने हेतु इच्छा जाहिर कर चुके थे इसलिए उन्हे अन्य पद पर पदस्थ किया गया थां अब उन्हे पुनः पद पर पदस्थ करना जिला प्रशासन की नीति समझ से परे हे।

गुलाबी बिल्डिग मे चर्चा यह भी जोरो पर हे कि एस डी एम मालविय को इसलिए हटाया गया हे कि बिधान सभा चुनाव मे झाबुआ विधान सभा मे सांंसद के खास सलाह सिपलाहर एवं पूर्व कांग्रेस के अध्यक्ष सुरेन्द्र जेन पप्पु सेठ को लाखो की राशि लेजाते हुए मेघनगर नाके पर पेटरोलिग करती पुलिस ने जॉच के दोरान जप्त की थी। इस बात की खुन्न्स संबंधित व्यक्ति के कहने पर सांसद ने प्रभारी मंत्री के माध्यम से कलेक्टर को निर्देशित कर जयसवाल को हटाया गया है। इस तथ्य का ख्ुलासा कलेक्टर स्वयं बयान जारी कर कर सकते हे कि एसडीएम जयसवाल को क्यो हटाया गया व भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशो की अनदेखी क्यो की गई ।?

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