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झाबुआ

ठेको के माध्यम से मोटी कमाई करने वाले बौखला कर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं – नप अध्यक्ष अजनार

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राणापुर – नगर परिषद द्वारा वितीय वर्ष 2019-20 के लिए बाजार बैठक ,पशु गुजरी व पंजीयन के लिए दी गई स्वीकृति को लेकर कुछ लोग मीडिया के जरिये गलत ठहराने पर लगे हुए है।इसे लेकर नगर परिषद अध्यक्ष सुनीता गोविंद अजनार ने परिषद का रुख स्पष्ट करते हुए बताया है कि सारी प्रक्रिया नियमानुसार सर्व सम्मति से की गई है।उन्होंने बताया कि परिषद द्वारा इन ठेकों से जुटाए गए भारी राजस्व से पूर्व में कम राशि पर ठेके हथिया कर मोटी कमाई करने वाले लोग बौखला कर अनर्गल आरोप लगा रहे है।उन्होंने बताया कि उनके कार्यकाल की शुरुआत में ही वित्तिय वर्ष 2018-19के लिए ठेकों की नीलामी से उन्होंने साढ़े 62 लाख रुपए का राजस्व जुटाया।यह वित्तिय वर्ष 2017-18 के राजस्व 46 लाख 77 हजार 3सौ दस रुपये से करीब साढ़े 33 परसेंट ज्यादा था।
अगले वित्तीय वर्ष में इसे 10 प्रतिशत बढ़ाकर दिया गया है।यानी 6 लाख से ज्यादा का राजस्व मिलेगा।सुनीता अजनार ने बताया कि परिषद को यह लग रहा था कि नीलामी में इससे ज्यादा राजस्व नही मिल सकेगा।साथ ही यदि बोलीकर्ता सिंडिकेट बनाकर कम बोली लगाकर भी ठेके ले सकते है।ऐसे में राजस्व की हानि न हो इसलिए उन्होंने व पार्षदों ने 10 प्रतिशत वृद्धि कर ठेका देना तय किया है।
ऐसे हथियाये कम मूल्य पर ठेके-

अजनार ने बताया कि पूर्व परिषद के कार्यकाल में कई बार एक व्यक्ति ने आपसी सांठगांठ कर ठेके कम मूल्य पर लेकर निकाय को राजस्व की बड़ी हानि पहुंचाई।अजनार के अनुसार पूर्व ठेकेदार नीलामी प्रक्रिया में अपने 3 -4 व्यक्ति से बोली लगवाता था।एकदम अधिक मूल्य पर ले जाकर निलामी खत्म कर बाद में मुकर कर दूसरे व तीसरे बोली कर्ता की एकदम कम बोली पर ठेके हथिया लेता था।इससे निकाय को लाखों रुपये की राजस्व हानि उठाना पड़ी।
अध्यक्ष ने बताया कि वर्ष 2012-13 में ठेका नीलामी में 21 लाख 51 हजार रुपए में फायनल हुआ था।प्रथम बोली कर्ता बाद में मुकर गया ।जिससे ठेका दूसरी बोली 16 लाख 43 हजार 3 सौ रुपये में दिया गया।यानि 5 लाख से ज्यादा का नुकसान।अगले वितीय वर्ष 2013-14 में तो पूर्व ठेकेदार व पूर्व परिषद की आपसी तालमेल ने गजब कर दिया।प्रथम बोलीकर्ता के इनकार पर दूसरे व दूसरे के इनकार पर तीसरे को ठेका सौंप दिया।वह भी प्रथम बोली की आधी राशि पर।पहली बोली 34 लाख 51 हजार पर फायनल हुई।बोलीकर्ता ने इंकार कर दिया।दूसरी बोली 34 लाख रुपये की थी।पहले के मना करने पर उसे ठेका दिया गया।उसने भी योजना अनुसार मना कर दिया।जिसके चलते परिषद ने नियमो की अनदेखी करते हुए तीसरे बोलीकर्ता को महज 17 लाख 61 हजार की राशि पर ठेका दे दिया।यानी कि पहली बोली से आधी राशि मे।इससे निकाय को 16 लाख 90 हजार रुपए का राजस्व कम मिला।अजनार ने बताया कि उस समय भाजपा समर्थित 8 पार्षदों ने परिषद की बैठक में पुष्टि पश्चात ही बोली प्रक्रिया करने की बात को लेकर पत्र दिया था।उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया।वित्तीय वर्ष2014 -15में परिषद ने पूर्व ठेकेदार को बिना नीलामी के 12 प्रतिशत राशि बढ़ाकर ठेका दे दिया।उस समय किसी को बंद कमरा नजर नही आया।

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