झाबुआ से दौलत गोलानी की रिपोर्ट……
झाबुआ। जिले के झकनावदा में दादा गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीवरजी मसा की पाट परंपरा के अष्ट्म पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद् विजय ऋषभचन्द्रसूरीष्वरजी मसा के आज्ञानुवर्ती मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी मसा ने प्रवचन में कहा कि समोशरण में परमात्मा महावीर की देशना का श्रवण करने चतुर्विध संघ उपस्थित था।
उस समय एक जिज्ञासु ने प्रभु से प्रश्न किया कि असार संसार में दुर्लभ क्या है ? तब परमात्मा ने कहा कि इस असार संसार में श्रद्धा परम दुर्लभ है। मानव जीवन से भी ज्यादा श्रद्धा दुर्लभ है। देव गुरु और धर्म के प्रति आस्था-श्रद्धा अति दुर्लभ है । मन के मंदिर में प्रभु को विराजमान करना बहुत ही दुर्लभ कार्य है। जीवन में पैसा सिर्फ सुविधा देता है, सुविधा के साथ जो सुरक्षा दे, उसे पुण्य कहते है । सुविधा सुरक्षा के साथ जो स्दगति प्रदान कर दे वह परम तत्व होता है। जीवन का सार ही देव , गुरु और धर्म है।
परमात्मा के सम्मुख हमेशा उदार ह्रदय होकर जाना चाहिए
परमात्मा के सम्मुख हमेशा उदार ह्रदय होकर जाना चाहिए। लोक प्रसिद्धि हर कोई प्राप्त कर लेता है, पर लोकप्रियता हर किसी को हासिल नहीं होती है इसलिए लोगों के दिलों में स्थान बनाकर व्यक्ति लोकप्रियता प्राप्त कर सकता है। हम धर्म के मामले में बहुत बिखरे हुए है, धर्म के क्षेत्र में एकता की बहुत जरुरत है। तीर्थ व प्रभु के प्रति अटुट श्रद्धावान होना चाहिए। समर्पण सिर्फ परमात्मा के चरणों में होना चाहिए। अर्पण तो व्यक्ति कहीं भी हो सकता है। धर्म भले ही थोड़ा कीजिए, पर अच्छा होना चाहिए। सामायिक हमेशा पुनिया श्रावक जैसी होना चाहिए। जीवन में धर्म के आचार को ग्रहण करना चाहिए।
इनकी निश्रा में हुआ प्रतिष्ठा महोत्सव आरंभ
झकनावदा नगर में केषरियानाथ प्रभु के पांच दिवसीय प्रतिष्ठा महोत्सव दादा गुरूदेव की पाट परंपरा के अष्ट्म पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेष श्रीमद् विजय ऋषभचन्द्रसूरीष्वरजी म.सा., युवा प्रेरक मुनिराज रजतचन्द्रविजयजी मसा, ज्ञानप्रेमी मुनिराज पुष्पेन्द्रविजयजी मसा, मुनिराज रूपेन्द्रविजयजी मसा, मुनिराज प्रितीयाचन्द्रविजयजी मसा, जिनचन्द्रविजयजी मसा, जीतचन्द्रविजयजी मसा, जनकचन्द्रविजयजी मसा आदि ठाणा एवं साध्वीवृंद की निश्रा में प्रारंभ हो चुका है।
पूरे नगर में हर्ष का माहौल
श्री केशरीयानाथ प्रभु की प्रतिष्ठा को लेकर झकनावदा नगर में चारों ओर हर्षोल्लास का वातावरण बना हुआ है। जिन मंदिर सहित पूरे नगर को विद्युत सज्जा से जगमग किया गया है । जैन ही नहीं जैनेत्तर समाज में भी प्रतिष्ठा महोत्सव एवं आचार्यश्री की स्थिरता को लेकर पूरे नगर में हर्ष छाया हुआ है।
रविवार को ये हुए आयोजन
रविवार दोपहर में गुरु प्रतिमा के उत्थापन की विधि आचार्यश्री की निश्रा में संपन्न हुई। पश्चात श्री राजेन्द्रसूरी गुरुपद महापूजन वरदीचंद हीराचंद मांडोत परिवार की और से किया गया। पूजन विधान हेमन्त वेद मुथा विधिकारक की टीम द्वारा संपन्न कराया गया। मंत्रोच्चार आचार्यश्री एवं मुनि भगवन्तों द्वारा किए गए। बड़ी संख्या में समाजजनों ने गुरुपद महापूजन में हिस्सा लिया । सुबह की नवकारसी का लाभ श्रीमती कमलाबाई कनकमलजी पटवा परिवार, सुबह स्वामीवात्सल्य का लाभ श्रीमती रतनबाई लुणचंदजी कासवा परिवार, शाम के स्वामीवात्सल्य का लाभ अनोखीलाल रजलबाई कोटडिया परिवार ने लिया। प्रभु की आंगी का लाभ श्रीमती विमलादेवी नरेन्द्रकुमार जैन द्वारा लिया गया। रात्रि में रंगारंग भक्ति भावना देवे जैन मोहनखेड़ा द्वारा की गई। इसका लाभ निर्मलकुमार मांडोत परिवार द्वारा लिया गया।
13 मई को यह होगा
सोमवार की सुबह जल कलश यात्रा विधान, कुंभ स्थापना, अखंड दीपक स्थापना, वेदिका पूजन, नवग्रह, अष्टमंगल, दसदिग्पाल पाटला पूजन का आयोजन होगा। दोपहर में श्री पार्श्वनाथ पंचकल्याणक पूजन, शाम को मेहंदी वितरण एवं भक्ति भावना का भव्य आयोजन किया जाएगा।
फोटो 010 -ः दादा गुरूदेवजी के चित्र के सम्मुख बनाई गई सुंदर रांगोली एवं सजाया गया पट।
फोटो 011 -ः आचार्य श्री ऋषभचन्द्र सूरीजी मसा की निश्रा में हुए प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत विभिन्न आयोजन।
फोटो 012 -ः मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी मसा समाजजनों को प्रवचन देते हुए।