शहर की शान मानी जाने वाली हाथीपावा की पहाड़ियां और उससे सटी पहाडियां निज लाभों के कारण भू माफियाओं ने मशीनों से जमकर कटाई कर करोड़ों कमाने का खेल जिला प्रशासन के अधिकारियों की मिलीभगत से खेला जा रहा है रतनपुरा क्षेत्र के सर्वे क्रमांक 6 ,7 व 8 पर समतलीकरण के बहाने पिछले कई महीनों से खनिज संपदा का उत्खनन कर सरकार के रायल्टी की क्षति पहुंचाकर ,जो करोड़ों में है तहसील झाबुआ ने बताई है हो रही है इस मामले में कई शिकायत होने के बावजूद कलेक्टर झाबुआ द्वारा ना तो खनिज संपदा करने वालों पर कार्रवाई की और न ही प्रकृति का स्वरूप और छेड़छाड़ करने वालों को रोकने की हिम्मत दिखाई |
जब इस तरह के प्राकृतिक संपदाओं को नष्ट करने के बारे में जयस संगठन के प्रदेश प्रवक्ता अनिल कटारा से जानना चाहा तो उनका कहना था कि शासन ने रतनपुरा के सर्वे क्रमांक 6, 7, 8 पर किस आधार पर खनन या दोहन की अनुमति दी यह समझ से परे है..? क्योंकि यह चरनाेई भूमि है तो चरनाेई भूमि काे आप किसी भी तरह से खंडित नहीं कर सकते हो| साथ ही अन्य उपयोग के लिए भी अनुमति नहीं ले सकते हो | जो संपत्ति राज्य सरकार या केंद्र सरकार की नहीं है उसको आप किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को उपयोग के लिए भी नहीं दे सकते हो | पूर्व में भी सर्वोच्च न्यायालय ने समता संगठन द्वारा उठाएं गए मामले में निर्णय देते हुए कहा था कि अधिसूचित क्षेत्र में केंद्र या राज्य सरकार की कोई संपत्ति नहीं है इसका अर्थ यह है कि शासन प्रशासन इन पहाडाे की कटाई में कुछ गलत कर रहा है अनिल कटारा ने यह भी कहा कि जयस संगठन हमेशा जल , जंगल और जमीन की बात करता है व आदिवासी समाज के उत्थान की बात करता है | जो भूमि या पहाड़ रतनपुरा क्षेत्र में काटे जा रहे हैं यह पर्यावरण के लिए आवश्यक है इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन मौन है यह अपने आप में गंभीर विषय है राज्य सरकार को गंभीरता से इस बारे में सोचना चाहिए इसके पहले कि जयस संगठन माननीय न्यायालय का दरवाजा कलेक्टर महोदय के विरुद्ध खटखटाए|
पूर्व में शहर के आदित्य वाजपेई की शिकायत पर तहसीलदार झाबुआ बी.एस.भिलाला ने मौके पर पहुंचकर अवैध उत्खनन का प्रकरण बनाकर मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 1959 की 247 (1) के तहत कार्रवाई हेतु पंचनामा बनाया |इस नियम अंतर्गत कोई भी निजी या शासकीय भूमि हो जमीन के ऊपर सतह को छोड़कर जमीन के अंदर जो भी खनिज गाैंड संपदा नियम अनुसार शासन की होती है और इसी नियम के तहत अगर कार्रवाई की जाए तो इस प्रकरण में भी शासन को करोड़ों रुपए की राजस्व प्राप्ति हो सकती है इस आशय का प्रकरण बनाकर तहसीलदार ने एसडीएम कार्यालय भेजा |
वहीं शहर के जागरूक युवा पियूष गादिया, आफताब कुरेशी ,राजेंद्रसिंह सोनगरा ने रतनपुरा क्षेत्र के सर्वे क्रमांक 6,7,8 पर भू माफियाओं द्वारा प्राकृतिक संपदा या पहाड़ी कटाई को रोकने के संबंध में 18 जून को जिला कलेक्टर को आवेदन देकर इसे तत्काल रोकने हेतु आवेदन दिया | साथ ही युवा वर्ग ने यह भी बताया था की इन पहाड़ों पर दर्जनों हरे भरे पेड़ों को काट दिया गया है जो पर्यावरण विरुद्ध है जिला कलेक्टर द्वारा आश्वासन दिया कि जल्द ही इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी | इस संबंध में किसी भी प्रकार की कार्रवाई ना होते देख जब युवा वर्ग 22 जून को जिला कलेक्टर से इस संबंध में मिले तो कलेक्टर द्वारा पुन: आश्वासन दिया गया कि जल्द ही कार्रवाई होगी | लेकिन आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हुई और भू माफियाओं द्वारा दिन-ब-दिन पहाड़ियों को काटकर समतल किया जा रहा है | प्रश्न यह उठता है कि क्या कारण है कि जिला प्रशासन द्वारा इस तरह खनन और दाेहन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है …? क्या किसी राजनीतिक दबाव के कारण…..? या फिर भू माफियाओं से आर्थिक लालच के कारण….? अब देखते हैं कि जिला प्रशासन इन खनन करने वाले और दोहन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगा या भूमाफिया इन पहाड़ियों को समतल कर प्राकृतिक संपदा को पूर्ण रूप से नष्ट कर देगे |