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झाबुआ

मनुष्य को छल कपट से दूर रहकर भगवान की भक्ति करना चाहिए -ः आचार्य श्री नरेन्द्र सूरीवरजी मसा,

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झाबुआ से दाैलत गाैलानी ……

प्रवचनों का बड़ी संख्या में सकल जैन समाज ले रहा लाभ
झाबुआ। श्री राजेन्द्र-यतिन्द्र-देवेन्द्र गुरू कृपा पात्र आचार्य श्रीमद् विजय नरेन्द्र सूरीवरजी मसा ‘नवल’ ने 27 जुलाई, शनिवार को सुबह स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय के पोषध शाला भवन में नियमित प्रवचन माला में प्रवचन देते हुए प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान की स्तुति करते हुए संस्कृत भाषा में भक्तामर स्त्रोत की तीसरी गाथा में कथन किया।
आचार्य श्रीजी ने कहा कि तीर्थंकर पूर्णंचंद्र के समान जगत को शुभ्रता और शीतलता देने वाले है। संपूर्ण ज्ञान रूपी जल से संसार के प्राणियों की अज्ञानता नष्ट करने वाले है। आत्मा रूपी राग-द्वेष से पीडि़त मोहान्ध प्राणी का मोह क्षय करने वाले है। नरेन्द्र सूरीजी ने आगे कहा कि हमे छल-कपट से दूर होकर भगवान की भक्ति करना चाहिए। साहित्य के तीन धटक ‘सत्यम्, शिवम् और सुंदरम् का विवेचन करते हुए बताया कि यर्थाथमय तथ्य भक्तामर स्त्रोत में र्दित है। यह पूर्ण सत्य प्रत्यक्ष है। परमार्थमय पथ्य से शिवम् अर्थात यह स्त्रोत जन-जन का कल्याण करने में सक्षम है। सुंदरम से कलात्मक कथ्य से पद-पद में प्रत्येक अक्षरों में मंत्र की शक्ति से भक्ति रस भरा हुआ है।
मन की मलीनता को छोड़ना मनोगुणि है
आचार्य श्रीजी ने कहा कि मन की मलीनता को छोड़ना मनोमुणि है। वचन की वक्रता को छोड़ना काय गुणि है। काया की कुटिलता को छोड़ना काय गुणि है। जैनाचार्य श्री मानतुंग ने भक्तामर स्त्रोत की रचना के पूर्व इन तीनों गुणियों का पालन करते हुए संयम की साधना में संवेग धारण किया है। जीवन में हर पहलू में विवेक को स्थान दिया गया है। भक्ति योग में भगवान के प्रति पूर्ण निःस्वार्थ राग भाव स्वीकार किया है। लघुता से प्रभुता मिले, इस आध्यात्मिक उत्कृष्ट स्वर को पहचाना है। जैनागमों में वर्णित भक्ति योग के ज्ञाता भक्ति रस में एकाकार हो गए, तो मां भगवती सरस्वती कंठ और ह्रदय में बैठ गई। जिसमें उत्कृष्ट रचना प्रगट हुई। प्रन्यास प्रवर श्री जिनेन्द्र विजयजी मसा ने भी धर्म का महत्व समझाया।
गुरूदेवजी की आरती की गई…….
शनिवार को प्रवचन बाद दादा गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीवरजी मसा की आरती करने का लाभ समाजरत्न सुभाषचन्द्र कोठारी परिवार ने लिया। इस अवसर पर श्री नवल स्वर्ण जयंती चातुर्मास समिति के कमलेश कोठारी, आशोक रूनवाल, संतोष रूनवाल, निलेश लोढ़ा, जितेन्द्र जैन, मानमल रूनवाल, हितेश कांठी, हस्तीमल संघवी, सुरेश कोठारी के साथ समाज के वरिष्ठजनों में यशवंत भंडारी, आशोक राठौर, रिंकू रूनवाल, श्वेतांबर जैन श्री संघ के व्यवस्थापक संजय मेहता, तेरापंथ सभा अध्यक्ष पंकज कोठारी, स्थानकवासी श्री संघ से प्रवीण रूनवाल आदि भी प्रवचनों का लाभ लेने के साथ व्यवस्था में विशेष सहयोग प्रदान किया जा रहा है।

फोटो 006 -ः समाजजनों को प्रवचन देते अष्ट प्रभावक आचार्य नरेन्द्र सूरीवरजी मसा।

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