झाबुआ से दौलत गोलानी की रिपोर्ट……..
दोपहर में तपस्वियों के एकासने का हुआ आयोजन…….
झाबुआ। स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय के राजेन्द्र सूरी पोषधाशाला भवन में 28 जुलाई, रविवार को सुबह प्रवचन देते हुए आचार्य श्रीमद् विजय नरेन्द्र सूरीशवरजी मसा ‘नवल’ ने कहा कि भक्तामर स्त्रोत के चतुर्थ श्लोक में वर्णन है कि परम् आराध्य आदिनाथ गुण के समुद्र है। उनमें स्थिरता, धीरता, वीरता और गंभीरता आदि अनंत गुण विद्यमान है।
आचार्य श्रीजी ने बताया कि आराधक को आराधना के मार्ग में आगे बढ़ने के लिए सदैव सर्वत्र गुणों पर ही ध्यान देना चाहिए। धर्मसभा में अनेक रोचक दृष्टान्त देते हुए कहा कि उत्तराध्ययन सूत्र के 23वें अध्ययन में वृतांत है कि भगवान श्री पार्वनाथजी की पंरपरा के चतुर्थ पट्टधर श्री केी गणधर, श्री गोतम स्वामीजी श्रावस्ती नगरी में आपस में मिले। एक-दूसरे के साथ तत्व चर्चा भी की। जिनमें जो विष गुण था, उसको स्वीकार भी किया। बड़प्पन तो यहीं है कि छोटो के पास भी अगर श्रेष्ठ गुण है तो उसकी मुक्त कंठ से प्रसां करनी चाहिए।
प्रशंसा करना सद्गुण है
आचार्य ने कहा कि स्व- प्रशंसा करना दुर्गुण है, पर प्रशसां करना सद्गुण है। चतुर्थ श्लोक में भक्तामर स्त्रोत में आचार्य मानतुंग सूरीजी ने कथन किया कि यदपि परमात्मा के गुण पारावार है, कथन करना कठिन है। अथाह जलमय समुद्र, जो कि कल्पान्तकाल प्रलयकाल में तूफान से भयंकर एवं जलचर प्राणियों से भरा पड़ा है, उसे दो भुजाओं से पार करना भी मुकिल है, लेकिन भवसागर में तन्मय होकर भक्त तो भगवान की कथा स्तुति करेगा।
मंत्रों से सकल जगत हमेशा से प्रभावित रहा है
आचार्य श्रीजी ने कहा कि स्त्रोतकारक इस भक्तिमय काव्य स्त्रोत में एक से बढ़कर एक उपमालंकार का पूर्ण प्रयोग करेंगे। वाणी और भाव को माध्यम बनाकर परम् ईष्ट की उपासना करके उपद्रव से बाहर निकलेंगे। उपसर्ग विजेता बनने के लिए विाष्ट मंत्राराधना का प्रयोग आवयक है। मंत्रों से सकल जगत हमेा से प्रभावित रहा है।
लीलाबेन भंडारी परिवार ने लिया एकासने का लाभ
28 जुलाई, रविवार को 44 दिवसीय भक्तामर महातप के तपस्वियों के एकासने का लाभ स्व. रमणलाल भंडारी की स्मृति में लीलाबेन, राजेन्द्रकुमार, दीपककुमार भंडारी परिवार ने लिया। जिनका चातुर्मास समिति ने बहुमान किया। साथ ही प्रवचन बाद दादा गुरूदेव श्री राजेन्द्र सूरीवरजी मसा की पूजा एवं आरती का लाभ समाजरत्न सुभाषचन्द्र कोठारी परिवार ने लेते हुए गुरूदेवजी की आरती एवं पूजा की। दोपहर में सभी तपस्वियां के एकासने का आयोजन हुआ।
फोटो 001 -ः धर्मसभा में प्रवचन देते अष्ट प्रभावक आचार्य नरेन्द्र सूरीवरजी मसा एवं प्रन्यास प्रवर श्री जिनेन्द्र विजयजी मसा।
फोटो 002 -ः तपस्वियों के एकासने का लाभ लीलाबेन भंडारी परिवार ने लेते हुए सभी को एकासना करवाया।