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झाबुआ

अवैध रूप से संचालित डामर यूनिट के संचालक को कोर्ट से मिली जमानत….. एक आरोपी फरार

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झाबुआ से आफताब कुरेशी व पियूष गादिया की रिपोर्ट

झाबुआ – मुखबिर की सूचना पर क्राइम ब्रांच झाबुआ ने मंगलवार काे अंतरवेलीया के पास एक पतरे से बने हुए ढाबे में डामर प्लांट पर कार्रवाई की |कार्रवाई में 3 टैंकरों को पकड़ा गया और 4 लोगों को हिरासत में लिया गया | पुलिस को आशंका है कि यहां पर डामर में मिलावट का काम किया जाता है खबर यह भी है की संचालकों ने कुछ दस्तावेज पुलिस के समक्ष प्रस्तुत किए और बताया कि यहां डामर खरीदा जाता है और उन्हें ड्रम में पैक कर बेचा जाता है यहां काफी मात्रा में डोलोमाइट पाउडर भी बरामद हुआ |इसके बारे में संचालकों का दावा है कि यह पाउडर सड़क निर्माण के बाद ऊपर छिड़कने के उपयोग में आता है इसे विक्रय के लिए रखा गया | फिलहाल 3 टैंकरों को यहां पर खड़ा रखा गया है मंगलवार शाम तक यह तय नहीं हो पाया था कि मामला किस विभाग से संबंधित है झाबुआ तहसीलदार सहित उज्जैन से पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम ,खाद्य विभाग की टीम , वन विभाग के अधिकारी और कोतवाली पुलिस की टीम पहुंची | पुलिस विभाग द्वारा 4 लोगों को हिरासत में लिया गया था जिन्हें प्रारंभिक पूछताछ के बाद नाम व मोबाइल नंबर लेकर छोड़ दिया गया |

जब इस नकली डामर बनाने वाले कार्य करने के बारे में जानकारी प्राप्त हुई तो बड़ी चौंकाने वाली जानकारी प्राप्त हुई |वन विभाग द्वारा बालू खुमसिंह निवासी उदयमाल को वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टा दिया गया था और इस स्थान पर सुनील राठौड़ निवासी इंदौर द्वारा फाइटर लगाया गया था और और अवैध रूप से डामर का काम किया जा रहा था | उस व्यक्ति के पास ना तो किसी की तरह का कोई लाइसेंस था ना ही किसी तरह की कोई परमिशन थी लेकिन फिर भी ढाबा में बेधड़क इस तरह का अवैध कारोबार संचालित कर रहा था |जब पुलिस द्वारा सूचना पर कार्रवाई की गई तो वहां पर अवैध रूप से डामर भी प्राप्त हुआ और तीन टैंकर पाए गए |जब पुलिस से इस कार्रवाई के बारे में जानकारी चाहि तो पुलिस विभाग का कहना था कि यह जमीन वन विभाग के अंतर्गत आती है और वन विभाग के एसडीओ संतोष कुमार से इस बारे में जानकारी चाहिए तो उनका कहना था की वन विभाग द्वारा वन भूमि पर जो फाइटर मशीन लगी थी उसे जप्त किया है और उसके जो मालिक है उसे गिरफ्तार किया है और न्यायालय में पेश किया है यह आरक्षित वन भूमि है उसमें भारतीय वन अधिनियम की धारा 1927 (26) J के अंतर्गत कार्यवाही की गई |उस भूमि का वन अधिकार पत्र दिया जा चुका था उस वन अधिकार पत्र धारक को भी सहआरोपी बनाया गया है और उसके खिलाफ भी वन अधिकार अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया गया है |उक्त प्रकरण में दो आरोपीत थे जिसमें से एक आरोपीत फरार है | जानकारी अनुसार आरोपीत को कोर्ट से जमानत भी मिल गई है |

जब इस नकली डामर बनाने वाले आरोपीत और उसकी कार्यप्रणाली पर ध्यान दें तो सर्वप्रथम यह बात ध्यान करने वाली है की शासन प्रशासन द्वारा इस प्रकरण में अवैध रूप से कार्य करने वाले और नकली डामर बनाने वाले आरोपित पर किसी भी तरह से कार्रवाई ना होना समझ से परे है |सबसे गौर करने वाली बात पुलिस ने जब दबिश दी , ताे क्राइम ब्रांच ने 4 लोगों को हिरासत में लिया और और थाना प्रभारी झाबुआ द्वारा पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया |जब इस बारे में वन विभाग से पूछताछ की तो उनका कहना था कि दो आरोपी थे उसमें से एक फरार है तीसरी बात जब इस केस में जप्त किए गए माल के बारे में जानकारी जानना चाही तो पुलिस विभाग ने अपने अधिकार क्षेत्र में नहीं होने की बात कह कर इतिश्री कर ली | वहीं वन विभाग से जब इस बारे में जानकारी चाहिए तो उन्होंने भी अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत होने वाले कार्रवाई के बारे में बताया |अब प्रश्न उठता है आरोपीत जमानत पर रिहा हो गया है लेकिन उस माल का क्या होगा जिसे जब्ती में लिया गया है क्या जब्त माल शासन-प्रशासन अपने कब्जे में लेगा या पुनः आरोपित को लौटा देगा |कहीं ना कहीं ऐसा प्रतीत होता है मानो शासन प्रशासन किसी भी तरह की कार्रवाई उस युवक पर करने से कतरा रहा था | पुलिस के पास जाने पर वन विभाग की बात कही जाती है वन विभाग के पास जाने पर वन अधिकार अधिनियम की बात कही जाती है और इस तरह सब टालम टोल चल रहा था |क्या कारण है कि शासन प्रशासन में बैठे अधिकारी इस तरह के अवैध रूप से कार्य करने वालों पर शिकंजा कसने के बजाय अपने हाथ इस केस से दूर करते जा रहे थे |क्या कारण था कि पुलिस इस अवैध रूप से कार्य करने वालों को पकड़कर लाने के बाद भी मात्र पूछताछ कर छोड़ दिया गया | गौर करने वाली बात यह भी है की पुलिस ने 4 लोगों को हिरासत में लिया था और वन विभाग 2 लोगो को हिरासत में लेने की बात कह रहा है |अगर जिले में इसी तरह लॉ एंड ऑर्डर चलता रहा तो लगता है जिले में हर दूसरे ढाबे पर इस तरह की अवैध गतिविधि का संचालन धीरे धीरे शुरू हो जाएगा |क्या कांग्रेस का यही नारा है….. वक्त है बदलाव का ….जहां पर शासन-प्रशासन मैं बैठे अधिकारी इस तरह अवैध काम करने वालों पर शिकंजा कसने के बचाए , बचाया जा रहा है |

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